महाशिवरात्रि के अवसर बाबा की बारात में शामिल होने के लिए अपने ज़माने के सुपर स्टार राजेश खन्ना बाबा की नगरी देवघर आये थे. जम कर शराब पी लेने के कारण वे बारात में शामिल नहीं हो पाए. इसका भारी खामियाजा उन्हें अगले दिन भुगतना पड़ा. अपने ज़माने में उन्होंने भले ही निर्माताओं को अपनी अँगुलियों पर नचाया हो, लेकिन यहाँ उन्हें देवघर के मेयर के इशारे पर नाचना पड़ा. अगले दिन सुबह उन्हें मुंबई लौटना था, लेकिन दवाब पर उनका टिकट रद्द करना पड़ा. बारात में शामिल नहीं होने के कारण अगले दिन उन्हें न सिर्फ नाचना पड़ा, बल्कि उनसे डिजनीलैंड मेले का उदघाटन भी करवाया गया. आयोजक ने उदघाटन के लिए देवघर के मेयर को चुना था. उदघाटन समारोह के लिए जो कार्ड छपवाया गया था, उसमें राजेश खन्ना का कहीं नाम नहीं था. लोगों को ऐसी उम्मीद भी नहीं थी. लेकिन बिन बुलाये मेहमान के रूप में काकू को देखकर लोग फुले न समा रहे थे.
हद तो तब हो गयी जब मेयर को आमरण अनशन पर बैठे विस्थापितों को मनाने के लिए मेयर के इशारे पर जाना पड़ा. देवघर के ये विस्थपित पुसनी में डैम निर्माण का विरोध कर रहें हैं. उनका मानना है कि अजय नदी पर इस डैम के बन जाने से बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित होंगे. वे सर्कार कि विस्थापन नीति का भी विरोध कर रहे हैं.
यह अलग बात है कि विस्थपितों को लुभाने के लिए काकू का ग्लैमर भी काम नहीं आया, लेकिन काकू की फजीहत तो हो ही गयी.
हाँ, कुछ दिनों पहले देवघर के मेयर ने झारखण्ड के डिप्टी सीएम से एक चुम्मा माँगा था लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी थी. यह कमी उन्होंने काके से पूरी कर ली. उन्होंने काकू को भींचकर चुम्मा ले लिया. आकिर काकू को मोटी रकम देकर जो उन्होंने बुलाया था.
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