मंगलवार, 10 अगस्त 2010

सावन में रूठा बदरा, धरती की फटी बिवाई

देश के कई हिस्सों में बाढ़ आयी है लेकिन झारखंड सूखा की चपेट में है. गोड्डा जिले में जमीन में दरारें पड़ गयी है. किसानों के सामने विकट स्थिति है. निरभ किशोर और अविनाश कुमार की रिपोर्ट.
आधा सावन बीत जाने के बाद भी रूठे बादलों को किसानों पर जहां नहीं आया. सावन में जेठ सा नजारा. जमीन में दरारें पर गयी हैं, मानों धरती मैया की बिवाई फट गयी हो. आसमान में बादल उमरते - घुमरते हैं. गरजते भी. लेकिन बरसते नहीं. अगर बरसते भी हैं तो दो-चार बूँद ही. इन दो-चार बूंदों से क्या होगा. गर्म तवे पर जैसे दो-चार बूँदें छन् से रह जाती हैं, उसी तरह बारिश की दो-चार बूँदें जमीन पर छन्न से रह जाती हैं. न जाने कौन सी हवा बहती है, जो सिर्फ बादल को नहीं,  बल्कि किसानों की उम्मीदों को भी उड़ा ले जाती हैं.
आषाढ़ की दो-चार दिनों की बारिश के बाद रूठा बदरा लाख कोशिशों के बाद भी मानने का नाम नहीं ले रहा. आषाढ़ में थोड़ी सी रोपनी ही पाई थी, वे विचड़े भी अब सूख गए हैं. अब तक १०-१५ प्रतिशत रोपनी ही पाई है. गोड्डा के किसान बताते हैं कि ०९ में भी ऐसा समय नहीं आया था. बिचड़े को बचने के लिए किसान कड़ी मशक्कत कर रहे हैं लेकिन इन बिचडों को बचाने के लिए पैसे चाहिए. लगातार दो वर्षों से सुखाड़ का दंश झेल रहे ये किसान आखिर रूपये कहाँ से लायेंगे. अगस्त में जिले में महज तीन एम-एम बारिश ही हुई है.
विभाग ने की झूठी रिपोर्ट
गोड्डा जिले के किसान कृषि विभाग की रिपोर्ट से आक्रोशित हैं. जुलाई में विभाग ने २५० एम.एम बारिश दिखाया है. यह रिपोर्ट डीसी के माध्यम से स्टेट को भेजी गयी है. जबकि किसानों का कहना है क़ि गत माह महज १५० एम.एम बारिश ही हो पाई है. बारिश का आलम यह है क़ि कुएं का जलस्तर एक फुट भी ऊपर नहीं आ पाया है. वहीँ विभाग ने घनरोपनी का प्रतिशत ३० बताया गया है जबकि १५ फीसदी रोपनी भी ठीक से नहीं हो पाई है.

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