कार्टून गूगल से साभार |
ऐसा भी मुर्गा बनता है क्या...
विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही ई मेहरारू लोगन की मोर्चाबंदी भी सामने आ
गयी है. मेहरारू लोगन ने साफ कह दिया है कि इस बार ऐसा नहीं चलेगा. मरद लोगन के का
है. दू-तीन गिलास दारू पिया आ फुच्च हो गया. सिरिफ लेग पीस बुझाता है ओकरा लोगन के… बाकी नून-हरदी है कि नहीं एकरा से का मतलब
है ओकरा सबके… पिछलका चुनाव
में जो घरे-घरे मुर्गा बंटाया था ऊ कनियों खाय लायक था क्या. खाली छर-छर पानी… नून-हरदी का कोई ठिकाना नहीं. कोनो पीस एकदम
गलले आ कोनो पीस एकदम कठगरे. ऐसा भी मुर्गा बनता है क्या…
कम से कम पांचो सौ टका दे तो बात बने
इस बार ऐसा एकदम्मे नहीं चलेगा. मुर्गा खिलाता है तो तनी निम्मन से
खिलावे. आ खाली मुर्गे काहे… बजार में
खस्सी का मांस भी तो मिलता है. थोड़ा महंगा है लेकिन नेता लोगन के लिए का महंगा का
सस्ता. पांच साल तक तो खाली अपन बखारिये भरता है. त आब खोले अपन बखारी आ खियाबे
मटन… इस बार तो मटन
खियाना ही पड़ेगा. ऐसा नहीं चलेगा. और पिछला भोट में नेताजी के यहां से क्या आया था… खाली दू सौ टका… ई दू सौ टका से का होता है इस जमाने में… दूगो ढंग का लिपस्टिक लिये आ खत्म… चूड़ी-लहठी, टिकली सिंदूर, स्नो पाउडर ई सब भी तो मेहरारू लोगन के
चाहिये. दू सौ टका में का होगा…. कम से कम
पांचो सौ टका दे तो बात बने...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें